Tuesday, June 21, 2016

प्रार्थना पारिवारिक श्रापों से छुटकारे के लिए/Prayer for breaking Family curse

अधर्म में तीन बातें प्रमुख रूप से आती हैं और ये एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक चलता जाता है 
1. मूर्ति पूजा 
2. नशा खोरी 
3. व्यभिचार 
पढ़ो  निर्गमन 20 :4 -6 
2 . पढ़ो - व्यवस्था विवरण 7:5
3 . अपने घर की सभी समस्याओं की लिस्ट बनाओ 
4 . अब उन समस्यांओं को एक एक कर के तोड़ो 
फिर प्रार्थना करो -
हर श्राप या नकारात्मक बातें जो मेरे परिवार में हो रही हैं मैं उन सभी नकारात्मक बातों को येशु मसीह के नाम पर तोड़ देती हूँ।  उन्हें मैं अपने जीवन से और अपने परिवार के सदस्यों के जीवन से पूरी तरह उखाड कर फेंक देती हूँ। 
शैतान तुम मेरे पैरों के नीचे हो और मैं येशु के नाम पर तुम्हारी हर चाल को रद्द कर देती हूँ। 
मैं हर उस जड़ को जिसके द्वारा तुम मेरे परिवार को सताने का हक़ रखते हो उसे येशु के नाम पर नष्ट कर देती हूँ। मैं तुम्हे येशु के नाम पर आदेश देती हूँ कि मेरे परिवार को छोड़ कर तुरंत यहाँ से अपनी तमाम दुष्टात्माओं के साथ निकल जाओ। 
मैं येशु के नाम पर उसकी लहू की वाचा के द्वारा आशीषों की एक नयी वाचा अपने और अपने परिवार पर लागू करती हूँ जो-
जो मेरे परिवार को येशु के लहू में छिपाता है 
जो मेरे परिवार को परमेश्वर की हर आशीषों से भरता है 
जो मेरे परिवार को तमाम खुशियों से भरता है 
जो मेरे परिवार को शांति देता है 
जो मेरे परिवार को चंगाई देता है 
जो मेरे परिवार को आदर और सम्मान दिलाता है 
जो मेरे परिवार के लिए नए द्वार खोलता है 
मैं और मेरा परिवार येशु के लहू में पूरी तरह से सुरक्षित हैं 
पवित्र आत्मा की अगुवाई सदैव हमारे जीवनो पर रहे। 
अमीन 

Friday, June 10, 2016

धैर्य पवित्र आत्मा का फल है/

एकबार मैंने अपनी फेस बुक में स्थिर खड़े रहने और आशा का पीछा करते रहने के लिए लिखा |"यह सत्य है कि जीवन वास्तव में कठिन हो सकता है लेकिन अपने कल को जाने ना दो | बेस्ट अभी आने को है |"
इस पर मुझे मिली झूली प्रतिक्रियाएं मिली, कुछ इस बात से सहमत हुए कुछ नहीं |
अधिकतर लोग जब सफलता के करीब पहुँच रहें होते है हिम्मत खो बैठते है | अंतिम क्षण में चूक जाते हैं | लेकिन परमेश्वर हमसे ये उम्मीद नहीं करता है |
वह हमे जयवंत बुलाता है और धैर्य की आत्मा देता है |
पढ़ें गलातियों 5:22-23 लेकिन आत्मा का फल प्रेम, आनन्द, शांति, धैर्य, दया, भलाई, विश्वास, नम्रता और आत्म नियंत्रण है| ऐसे कामों के विरूद्ध कोई व्यवस्था नहीं है
धैर्य की क्या परिभाषा दोगे?
उन्होंने यह विचार क्यों नहीं पसंद किया कि परमेश्वर अभी भी उनके लिए काम कर रहा है और वह उनके जीवन में बेस्ट लायेगा?
इसके दो कारण हो सकते हैं
1 . वे परमेश्वर को जानते नहीं थे
2 . उनका जीवन अधिकतर असफलताओं से भरा था
धैर्य वह क्षमता और इच्छा है जो बिना शिकायत या परेशानी के मुश्किल या चुनौतीपूर्ण स्थिति का सामना सहजतापूर्वक करा सके|
पढ़ें रोमियो 5:3-4, इतना ही नहीं हम अपने क्लेशों में भी आनंदित होतें हैं क्योंकि यह जानते हैं कि क्लेश में धैर्य उत्पन्न होता है, तथा धैर्य से खरा चरित्र, और खरे चरित्र से आशा उत्पन्न होती है |
हम पवित्र आत्मा का अध्यन कर रहें है , इन्हें हम तीन ग्रुप में बाँट सकतें हैं
पहला ग्रुप- प्रेम, आनंद और शांति, ये हमारे जीवन में परमेश्वर और मनुष्य के संबंधो के महत्त्व से सम्बंधित है| ऐसा हरगिज़ नहीं हो सकता कि तुम कहो कि मैं परमेश्वर से प्रेम करता हूँ और मनुष्य से घृणा करो | इसको ध्यान से सोचो, कि तुम उससे घृणा करते हो जिससे परमेश्वर सबसे अधिक प्रेम करता है?
दूसरा ग्रुप- धैर्य, दयालुता और भलाई, ये हमारे सामाजिक गुणों से सम्बंधित हैं | यह हमारे विचार और कार्यों से सम्बंधित हैं कि हमारा दृष्टिकोण दूसरों के प्रति कैसा है|
तीसरा ग्रुप- विश्वास, नम्रता और आत्म नियंत्रण, यह हमारी ज़िम्मेदारी से सम्बंधित है, हम अपने किये के लिए परमेश्वर के सामने ज़िम्मेदार हैं |
चलो, युसूफ के बारे में पढ़ते हैं, उसके पास धैर्य का स्तर अद्भुत तरीके से था
पढ़ें उत्पत्ति 37:1-11, 12-36
39:10, 17-18, 20,
40:4, 41:46-47
17 से 30 वर्ष की उम्र में उसके जीवन में बहुत सारी चीजे हुईं
1.      परमेश्वर ने उसे महान होने का स्वप्न दिया
2.      उसके भाई उससे ईर्ष्या रखते थे
3.      उन्होंने उसे मरने की कोशिश की
4.      उसे एक व्यापारी को बेच दिया गया
5.      बाद में उसे मिश्र देश के व्यापारी को बेच दिया गया
6.      उसके मालिक की पत्नी ने उसे व्यभिचार करने के किये उकसाया
7.      उस पर झूठा आरोप लगाया गया
8.      उसे जेल में डाल दिया गया
9.      जेल में भी वह आशीषित हुआ
10.     उसे वहां पर राजा के अधिकारीयों का सेवक बना दिया गया
11.     उसने राजा के स्वप्न का मतलब बताया
12.     उसे प्रधान मंत्री के पद पर बैठाया गया
जब हम कठिन परिस्थितियों से गुजरतें हैं तो सिर्फ अकेले विश्वास से काम नहीं बनाता है, हमें धैर्य की भी ज़रुरत पड़ती है |
अगर तुममे धैर्य नहीं तो तुम अचल कैसे रहोगे, और इस तरह अपने गंतव्य स्थान तक पहुँचने में देर कर दोगे |
पढ़ें 2 कुरंथियों 6:4-6, परन्तु हर एक बात में परमेश्वर के योग्य सेवकों के सदृश्य अपने आप को प्रस्तुत करते है, अर्थात बड़े धैर्य में, क्लेशों में अभावों में, संकटों में, मार खाने में, बंदी किये जाने में, उत्पातों में, परिश्रम में, जागने में, भूख में पवित्रता में, ज्ञान में, धीरज में कृपालुता में पवित्र आत्मा में, सच्चे प्रेम में,...
धैर्य का मतलब हैं परीक्षा की घडी में परमेश्वर पर विश्वास करना
पढ़ें याकूब 5:7, इसलिए हे भाइयों, प्रभु के आगमन तक धैर्य रखो| देखो कृषक भूमि की मूल्यवान उपज के लिए प्रथम और अंतिम वर्षा होने तक धैर्य बांधे ठहरा रहता है |
अगर तुम बोने और काटने के सिद्धांत पर विश्वास करते हो, तो अपने विश्वास का अभ्यास करो और परमेश्वर को बाकि काम करने दो|
याद रखो तुम अपनी सामर्थ में कुछ भी नहीं उगा सकते हो| यह परमेश्वर है जो परदे के पीछे काम करता है | उसका पवित्र आत्मा तुम्हारी मदद करता है |
परमेश्वर को पकडे रहो उसके आगे रो,, उस पर भरोसा करो, अपनी तकलीफे बताओ, परमेश्वर के पास तुम्हारे लिए जवाब है
पढ़ें 2 कुरंथियों 6:2, क्योंकि वह कहता है, "गृहण किये जाने के समय मैंने तुम्हारी सुन ली, और उद्धार के दिन मैंने तुम्हारी सहायता की | देखो अभी गृहण किये जाने का समय है,| देखो अभी वह उद्धार का दिन है|
आज तुम्हारा नियत समय है, आज तुम्हारी चंगाई का दिन है, आज तुम्हारे उद्धार का दिन है इसलिए अपना सब उसे दे दो और उस पर भरोसा करो |
प्रार्थना -गलातियों  6:9, के अनुसार हम भलाई करने में निरुत्साहित ना हो, क्योंकि यदि हम शिथिल ना पड़े तो उचित समय पर कटनी काटेंगे |
प्रिय हमारे स्वर्गीय पिता, यीशु के नाम पर, हमारी मदद करें ताकि हम आपके साथ चल सके, आपको और अधिक जान सकें, आपमे और अधिक दृढ हो सके, और सिर्फ आप पर भरोसा करने वाले हो सके| पिता हमे धैर्य दे ताकि कठिन समय में हम दुर्बल ना हो, और सदैव जाने कि आप हमेशा परदे के पीछे हमारे लिए काम कर रहें है|
अमीन  (Gobible.org)

Wednesday, June 8, 2016

आनंद मेरा विकल्प है

जब खुशी पहुँच से बाहर हो और समस्याओं का वजन नीचे दबा रहा हो, तो मैं यीशु के पास भागती हूँ, तुम कहाँ जाते हो?
मैं अब भी उस समय को याद करती हूँ जब मेरी खुशीयां चोरी हो गई थी और मैं मुस्करना भी भूल गई थी. मैंने सभी धर्मों में परमेश्वर को खोजा लेकिन वह कहीं नहीं मिला. मैंने पूरी तरह से परमेश्वर में अपना विश्वास खो दिया था | जीवन मेरे लिए एक बोझ बन गया था लेकिन मैं अपने बीमार पति जो अपने L4 और 5 की पीठ की हड्डियों के क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण बिस्तर पर थे और 80% स्मृति खो चुके थे, और मेरे 9 साल के बच्चे के लिए मेरा जीना ज़रूरी था.
मुझे नहीं पता था कि खुशियाँ भी कहीं पायीं जा सकती थीं, मेरे लिए जीवन असफल हो चुका था और मौत जीत रही थी| चूकि  मेरे ऊपर परिवार का उत्तरदायित्व था इसलिए मैं जी रही थी पर बिना उम्मीद के
दिल के भीतरी कोने में फिर भी एक उम्मीद छुपी थी और वह थी कि कहीं ना कहीं अवश्य ही अच्छाई छिपी है, कि कहीं ना कहीं अवश्य ही प्रकाश छिपा है, कि कहीं ना कहीं अवश्य ही सच्चाई छिपी है, कि कहीं ना कहीं अवश्य ही समाधान छिपा है | मेरे पास एक प्रश्न था कि थोड़ी सी ही सही पर शांति कहाँ मिलेगी, कि थोड़ी सी ही सही पर ख़ुशी कहाँ मिलेगी, कि थोड़ी सी ही सही पर राहत कहाँ मिलेगी?
क्या जीवन बहुमूल्य है?
क्या परमेश्वर वास्तव में सुनता है?
उसने मनुष्य को क्यों बनाया?
मैं कहाँ जा रही हूँ स्वर्ग या नरक या बीच में कहीं?
मेरे पास बहुतेरे प्रश्न थे, मुझे डरावने सपने क्यों आतें हैं?
मैं इस तरह क्यों तकलीफ पा रही हूँ?
परमेश्वर क्यों नहीं मेरी मदद को आतें है ? लेकिन इन बातों का कोई भी जवाब ना था |
फिर एक दिन जब मैं यीशु के पास आयी मेरे दिल की आवाज़ सुनी गई,
मुझे वह लम्हा इतना पसंद है जब मैंने यीशु को जाना. उसके शब्द कहते है, "मुझे पुकारोगे तो मैं जवाब दूंगा |"
मैंने उससे पूछा क्या तुम परमेश्वर हो?
क्या तुम मेरी मदद करोगे?
क्या तुम मुझे शांति दे सकते हो?
क्या तुम मेरे पति को ठीक कर सकते हो? मैंने उससे कहा अच्छा मैं तुम्हें परखती हूँ |
मैंने उससे कहा, "मेरे पाप क्षमा कर दो, मेरे पुरखों के पाप क्षमा कर दो, मैं विश्वास करती हूँ कि तुम मेरे कारण आये, मेरे कारण मरे और मेरे ही कारण फिर जी उठे, और अब तुम पिता के दाहिने हाथ में स्वर्ग में बैठे हो | तुमने मेरे सभी पाप माफ़ कर दिए हैं | शैतान का मुझ पर कोई अधिकार नहीं हैं | मैं परमेश्वर की संतान हूँ |" मैंने महसूस किया कि मेरी आत्मा में शान्ति थी|
पिछले हफ्ते मैं एक कंप्यूटर इन्जिनीयर जो कि दक्षिण अफ्रीका से था मिली |वह दोपहर के समय में पिए हुए था| मुझे आत्मा में लगा कि मैं उससे पूछूं तो मैंने उससे पूछा कि वह शराब क्यों पिए हुए है ? वह मुस्कराया बोला, मेरी बहुत सारी समस्याएं है कोई भी मेरी मदद नहीं कर सकता है |
मैंने कहा, हाँ ये बात सही है मैं तुम्हारी कोई भी मदद नहीं कर सकती हूँ लेकिन परमेश्वर कर सकता है |
वह फिर मुस्कराया और बोला, परमेश्वर कत्तई नहीं! मैं कथोलिक इसाई था लेकिन अब मैं मुसलमान हूँ, फिर भी मेरी समस्या का कोई समाधान नहीं हैं, कम से कम शराब तो मुझे थोड़ी देर के लिए समस्याओं से दूर ले जाती है |
मैंने अपनी गवाही देने की कोशिश की, उसने कुछ सुनी कुछ नहीं | बातचीत होती गई, अंत में मैंने उससे पूछा क्या मैं तुम्हारे साथ प्रार्थना कर सकती हूँ?
उसने जवाब दिया मैडम, वह कैसे मेरी मदद कर सकता है?
मैंने फिर अपने प्रश्न को दोहराया, उसने कहा ठीक है, प्रार्थना के अंत में वह रोने लगा, फिर वह बोला, मेरे दिल में सुकून है, मुझे आपकी प्रार्थना की ज़रुरत है |
मैंने उससे कहा, जो भी तुम्हारे जीवन में हो रहा है यीशु को बताओ | उस शाम को मुझे उसका एक मेसेज मिला, उसने लिखा, आज मैं बहुत आज़ाद महसूस कर रहा हूँ, जैसे कि हवा में अणु हों |
यहाँ पर मैं आनंद से भर गई| जब भी परमेश्वर किसी के जीवन में काम करते है मुझे बहुत शांति मिलाती है जैसे मेरी प्यास बुझ गई हो
पढ़ें लुका 6:45
वह व्यक्ति, वही आनंद और शांति बोल रहा था जो उसके अन्दर भरा हुआ था
तुम्हारा आनंद कहाँ है?
क्या तुम्हारा आनंद सांसारिक वस्तुओं में है?
पढ़ें नहेमयाह 8:10
आनंद क्यों आवश्यक है?
क्या उससे ताकत मिलती है?
फिर ख़ुशी क्या है, क्या ख़ुशी और आनंद एक ही बात है?
आजमाइश के बीच में बनी रहने वाली स्थिति आनंद है जबकि ख़ुशी भावनात्मक स्थिति है
याकूब 1:2
लोग जीवन से संघर्ष करते है क्योंकि उन्होंने अपना आनंद खो दिया है
शुद्ध आनंद ख़ुशी नहीं हैं , अगर आपमें आनंद का आभाव है तो ताकत भी ना रहेगी
गीत है प्रभु का आनंद है मेरी ताकत.......
तब जब आनंद ना होगा तो हम परिस्थितियों से मुकाबला कैसे करेंगे
आनंद हमे परिस्थितियों से लड़ने की ताकत देता है, और जब तुम मुकाबला करोगे तभी तो जयवंत होगे
पढ़ें 1 युहन्ना 4:4,
बोलो- परीक्षाओं से हमे विजय मिलती है कुंठा नहीं
पढ़ें गलातियों 5:22-23
आनंद भी पवित्र आत्मा का फल है, यह भी एक विकल्प है |
इसका अनुभव तब मिलता है जब हम अपने को जैसे हैं वैसा स्वीकार करते हैं, जब हम बिना लालच के दूसरे की भलाई करते है, जब हम पक्षपात रहित हो, जब हम स्वार्थी ना हो और अपनी कठिन परिस्थितियों में भी अडिग खड़े रहें
पढ़ें हबक्कूक 3 :17 -18
क्या तुम अपनी परिस्थितियों से हार रहें हो या फिर उनके विरूद्ध खड़े हो रहें हो
पढ़ें हबक्कूक 3 :19
अगर तुम कठिन परिस्थितियों में भी अडिग खड़े रहो तो परमेश्वर तुम्हारे लिए नया रास्ता अवश्य ही खोल देगा
तुम हार के लिए नहीं बल्कि विजय के लिए हो
क्या परमेश्वर ने तुम्हारे लिए बुरी वस्तुएं रखी है
पढ़े भजन संहिता 84:11
यह वचन कहता है कि परमेश्वर कभी भी अच्छी चीजे अपने प्यार करने वाले से नहीं छुपता है
अब चुनाव तुम्हारा है कि तुम
विजय
या हार में से किसे अपनाते हो?
विजय या हार एक व्यक्ति के बर्ताव में छुपी है
तुम्हारे जीवन में कैसी भी समस्या हो सकती है, परिवार सम्बंधित, धन सम्बंधित, बीमारी सम्बंधित, हो सकता है कि कुछ भी अच्छा ना हो रहा हो ? क्या फिर भी तुम आनंदित हो?
अगर तुम्हारा आनंद परमेश्वर से है तो यह संभव है
पढ़ें यशायाह 12:2-3,
इस वचन को ध्यान से पढ़े परमेश्वर ने हमारी ज़रूरतों के कुएं दिए है | कुए से मतलब है कि असीमित प्रावधान, आपको कितना चाहिए ले लो
अगर तुम्हारी ज़रुरत चंगाई है तो चंगाई के कुएं के पास जाओ
अगर तुम्हारी ज़रुरत धन है तो धन के कुएं के पास जाओ
अगर तुम्हारी ज़रुरत शांति है तो स्वस्थ मन के कुएं के पास जाओ
अगर तुम्हारी ज़रुरत परिवार में शांति है तो संबंधों की बहाली के कुएं के पास जाओ
प्रिय मित्रों कुएं से पानी निकालने के लिए जिस ताकत की बात यशायाह कर रहा है वह आनंद है | अगर आनंद nahi है तो उसका विलोम क्या है? और अगर मन उदास है तो परमेश्वर के उद्धार से तुम क्या पाओगे?
बिना आनंद के तुम्हें कुछ ना मिलेगा
इसलिए प्रिय हतोत्साहित ना हो,
परमेश्वर का विरोधी अर्थात शैतान तो चाहेगा कि तुम आनंदित ना हो, क्योंकि वह तुम्हारा भी विरोधी है
यीशु ने कहा शैतान चुराने, नष्ट करने और मरने के लिए है पर मैं आया ताकि तुम जीवन पो और वह भी भरपूर
इसलिए
आपका विकल्प क्या है
कह दो शैतान को कि तुम मेरा आनंद नहीं छु सकते हो
यदि तुम परमेश्वर के हो तो तुम पवित्र आत्मा के हो
यदि तुम पवित्र आत्मा के हो तो तुम उसके गुणों वाले हो
फिर शैतान तुम्हारे आनंद को नहीं चुरा सकता है
इसका मतलब है कि तुम आशीषित हो इसलिए अपने आशीषों को अपने जीवन में देखना शुरू कर दो
आमीन

Tuesday, June 7, 2016

बुरे सपनों का सामना कैसे करें

अयूब की पुस्तक से हमें पता चलता है कि कुछ समय के लिए परमेश्वर ने उसे शैतान के हवाले कर दिया था और उसे बुरे सपनों और घोर कष्ट का सामना करना पड़ा.
पढ़ें - अयूब  7 :13-14
जब जब मैं सोचता हूं कि मुझे खाट पर शान्ति मिलेगी, और बिछौने पर मेरा खेद कुछ हलका होगा;
तब तब तू मुझे स्वप्नों से घबरा देता, और दर्शनों से भयभीत कर देता है;
शैतान की ओर से दिखाए गए स्वप्न दिल को ठेस पहुँचाने वाले, मन को दुखी करने वाले, सताव  देने वाले जीवन पर चोट करने वाले, सम्बन्धो को हिलाने वाले, मन को भटकाने वाले, गलत इच्छा जगाने वाले, और क्रोध को भड़काने वाले होते हैं.
शैतान हमेशा हमें कुछ सत्य बता कर या दिखा कर भ्रमित कर देता है, यही उसकी चाल है. इसलिए हमेशा जब शत्रु स्वप्न में हमें पूरी तरह भ्रमित कर दे तो हम परमेश्वर की ओर भागे
पढ़े - रोमियों 8 : 1
सो अब जो मसीह यीशु में हैं, उन पर दण्ड की आज्ञा नहीं: क्योंकि वे शरीर के अनुसार नहीं वरन आत्मा के अनुसार चलते हैं।
हमें अवश्य ही ये बोलना है कि मसीह येशु में हमें दण्ड की आज्ञा नहीं है I हम येशु के लहू से ढकें हैं ।
दुःस्वप्न क्यों आतें हैं
हमारे विश्वास को कमज़ोर करने के लिए
भयभीत करने के लिए
बीते समय की गलतियों को थोपने के लिए
सताने के लिए
धमकाने के लिए
बहकने के लिए
हमारी इच्छा में हेर-फेर करने के लिए
हमारे निर्णय को बदलने के लिए
परमेश्वर और हमारे रिश्ते को कमज़ोर बनने के लिए
इसलिए ज़रूरी है कि हम उस स्थिति से येशु के नाम से  युद्ध  करें और प्रभु की शांति को स्थापित करके ही फिर सोएं. बुरे स्वप्नों को येशु मसीह के नाम पर खंडित कर दें.
अगर ऐसा करने में आप अपने आप को असमर्थ पातें है तो पवित्र आत्मा से प्रार्थना करें कि वह आपको सपना देखते समय याद दिलाएं.
एक बात आप अवश्य जानें कि येशु का नाम और उसका लहू हमारे लिए एक भरी भरकम शस्त्र है.
दुःस्वप्न का दरवाज़ा कैसे खुलता है ?
आसान है परमेश्वर ने शैतान को अनुमति दी है
ऐसा क्यों?
हम परमेश्वर में तमाम दुष्ट ताकतों को अपने पैरों तलें रौंदने  के लिए बुलाएँ गएँ हैं
हमारे जीवन जीने के तरीकों ने दुष्ट के लिए दरवाज़ा खोल दिया है।
अच्छा हो हम अपने आप को पहचाने और पश्चाताप करें और परमेश्वर की ओर खिंच जाएँ।
अवश्य जानें जहाँ एक ओर शैतान अपनी इन चालों से हमें निराश करने की कोशिश कर रहा है वहीँ परमेश्वर
इन्हे हमारे जीवन में घुसने की  परमिशन देता है ताकि हम बढ़ सकें अपने शत्रु को जीत सकें।
हम अन्त दिनों की ओर जा रहें हैं जो दुष्ट हैं वो अति दुष्टता की ओर, फिर सोंचो जो परमेश्वर से प्रेम करने वाला है उसे तो वे अपशब्द-श्राप वचन बोलेंगे।
ऐसे में रात 12 से सुबह 3 का समय हमारी फाइट का समय हो जाता है।
इसलिए नींद पर अपना अधिकार लो और जो दुष्ट योजना आपके जीवन  या परिवार के लिए भेजी गयी है उसे येशु के नाम पर नष्ट कर दो।
अपने जीवन को परमेश्वर के वचन के अनुसार काबू करने  वाले बनो
पढ़ो - 1. प्रकाशित वाक्य 21 :6 - 8
फिर उस ने मुझ से कहा, ये बातें पूरी हो गई हैं, मैं अलफा और ओमिगा, आदि और अन्त हूं: मैं प्यासे को जीवन के जल के सोते में से सेंतमेंत पिलाऊंगा। 7 जो जय पाए, वही इन वस्तुओं का वारिस होगा; और मैं उसका परमेश्वर होऊंगा, और वह मेरा पुत्र होगा। 8 पर डरपोकों, और अविश्वासियों, और घिनौनों, और हत्यारों, और व्यभिचारियों, और टोन्हों, और मूर्तिपूजकों, और सब झूठों का भाग उस झील में मिलेगा, जो आग और गन्धक से जलती रहती है: यह दूसरी मृत्यु है॥
पढ़ो - 2. रोमियों 12 :21
 बुराई से न हारो परन्तु भलाई से बुराई का जीत लो॥
पढ़ो - नीतिवचन 3 :24
24 जब तू लेटेगा, तब भय न खाएगा, जब तू लेटेगा, तब सुख की नींद आएगी।
पढ़ो - 3. यिर्मयाह 31 : 26
26 इस पर मैं जाग उठा, और देखा, ओर मेरी नीन्द मुझे मीठी लगी।
जब हम परमेश्वर की इच्छा के विरोध में चलते है तब हम शैतान के लिए दरवाज़ा खोल देतें हैं।
कैसे जानें ?
 जब हमारी सोंच दूषित हो प्रेरितों के काम 24:16
 जब हम अपने व्यवहार के कारण  शैतान को मौका दे देतें हैं की वह हमारे विरोध में बोले
जब हम अपनी पसंद को प्राथमिकता देतें हैंऔर संदेह करते है  रोमियों 14 :23
जानबूझ कर किया गया पाप परमेश्वर की सुरक्षा की दीवार  हटा देता है
जब हम ऐसा मनोंरंजन देखना पसंद करें जो हिंसक या कामुक हो यशायाह 33 :15 -16
जब हम अपनी आँखों को वश में न रखें मत्ती 6: 22 -23
जब हम बुरी खबर पर विश्वाश करें  नीतिवचन 11 :27
जब हम माफ़ न करें  मत्ती 18 :34 -35
धोखे और चेतावनी देने वाले स्वप्न
एक बार चर्च की एक महिला मेरे पास आई और बोली कि  मैंने सपने में देखा कि  मेरे पडोसी की मृत्यु हो गयी।  मुझे लगा कि  मैं अवश्य उसे बता दूँ  ताकि वो येशु को अपना ले और उसके प्राण बच जाएँ। लेकिन जब मैं उसके घर गयी और उसे बताया की वह मरने वाली है वह और उसका पति मुझसे काफी गुस्सा हो गए और कहा कि मैं उनके घर न आया करूँ।
उसने मुझसे पुछा ऐसा क्यों हुआ कि परमेश्वर ने दिखाया पर वह तो अभी तक ज़िंदा है ।
इसके लिए मेरे पास एक ही जवाब है - अच्छा हो कि हम इन विषयों के लिए प्रार्थना करें न कि उन्हें ऐसा बताएं।
हम परमेश्वर की इच्छा उसकी मर्ज़ी को बोले न की शैतान की मर्ज़ी को।
पढ़ें - 1 थिस्लिनिकियों 5 :8 -10
धोखे के सपनों पर विश्वास
बहुत से ऐसे विश्वासी है जो परमेश्वर द्वारा दिखाए या शैतान द्वारा दिखाए गए सपनों का अंतर नहीं समझ पातें है और धोखे का शिकार हो जातें हैं।
परमेश्वर शांति का परमेश्वर है और शैतान भय उत्पन्न करने वाला।  इसलिए भय में नहीं बल्कि परमेश्वर के वचन में विशवास करो जो चाहता है कि  हममें से कोई भी नष्ट न हो बल्कि सब परमेश्वर को जानने वाले हों।
परमेश्वर के वचनों को अपने दिल में बिठा लो
अच्छा हो अपना फोकस शैतान और उसकी योजनाओं पर से हटा लोऔर बुराई को भलाई से जीतो।
यिर्मयाह 29 :10 -12
11 क्योंकि यहोवा की यह वाणी है, कि जो कल्पनाएं मैं तुम्हारे विषय करता हूँ उन्हें मैं जानता हूँ, वे हानि  की नहीं, वरन कुशल ही की हैं, और अन्त में तुम्हारी आशा पूरी करूंगा।
12 तब उस समय तुम मुझ को पुकारोगे और आकर मुझ से प्रार्थना करोगे और मैं तुम्हारी सुनूंगा।
अमीन