Thursday, February 14, 2013

प्रेम एक भावना नहीं यह एक विकल्प है

यदि हम उत्पत्ति 1:28 और 31 पढ़ें तो पता चलता है कि परमेश्वर ने आदम और हवा को आशीषित किया और जो भी परमेश्वर ने रचा वह सब अच्छा था |
इसका मतलब है कि जो कुछ भी परमेश्वर ने रचा वह पवित्र था, अमर था और आशीषित था 
लेकिन उत्पत्ति 3:6 और 7 से पता चलता है कि पहले मनुष्य और उसकी स्त्री ने पाप किया और उसके फल स्वरुप परमेश्वर का प्रेम प्रकट हुआ |
हैं न चौकाने वाली बात!
परमेश्वर ने इस पृथ्वी को शापित कर दिया और मनुष्य को कठिन परिश्रम व अपने पर्यावरण की देख भाल एक ट्रेनिंग के तौर पर दे दी, जिससे कि उसके उद्धार की योजना  फलान्वित हो सके, क्योंकि "मनुष्य का प्रेम स्वार्थी हो गया था |"
परमेश्वर ने अपना पुत्र यीशु हमारे लिए दिया, जो कि हमारा चंगा करने वाला और उद्धारक है 
उसके कार्य ने उसके दैविक अभिषेक को सिद्ध कर दिया 
उसके हर कार्य में प्रेम, करुना और अनुराग स्पष्ट दिखाई दिए 
उसी पुत्र ने हमे अपनी पवित्र आत्मा दी और हमें अपना निवास स्थान बना लीया 
इब्रानियों 13:8 कहता है कि यीशु मसीह जैसा कल थ, वही आज है और सर्वदा रहेगा 
आज यीशु का वही प्रेम, हम सबकी  ज़रुरत है 
1 कुरंथियों 6:19 कहता है कि तुम पवित्र आत्मा के मंदिर हो
क्या तुम सोचते हो कि परमेश्वर अपने राज्य के लिए तुम्हें अपने वरदान और फल देगा?
किस तरह के प्रेम को परमेश्वर प्रकट करना चाहेगा?
पढ़ें लुका 4:18,
कि प्रभु का आत्मा मुझ पर है, इसलिये कि उस ने कंगालों को सुसमाचार सुनाने के लिये मेरा अभिषेक किया है, और मुझे इसलिये भेजा है, कि बन्धुओं को छुटकारे का और अन्धों को दृष्टि पाने का सुसमाचार प्रचार करूं और कुचले हुओं को छुड़ाऊं।
यीशु का दिल द्रवित हुआ  
यीशु ने मनुष्य का स्वभाव लिया 
यीशु प्रेम से उनके करीब गया 
लोगों ने उसके प्रति कैसी प्रतिक्रिया की?
लोग उसके प्रति आकर्षित हुए 
लोग उसके द्वारा उत्साहित हुए 
लोगों ने उसे प्यार किया 
तुम्हारे विषय में क्या है, क्या तुम अपने शरीर को उसका मंदिर कहना चाहोगे?
पढ़ें 1 कुरंथियों 6:19-20,
क्या तुम नहीं जानते, कि तुम्हारी देह पवित्रात्मा का मन्दिर है; जो तुम में बसा हुआ है और तुम्हें परमेश्वर की ओर से मिला है, और तुम अपने नहीं हो? क्योंकि दाम देकर मोल लिये गए हो, इसलिये अपनी देह के द्वारा परमेश्वर की महिमा करो॥ 
मैं अपना पहले वाला प्रश्न दोहराना चाहूंगी, क्या तुम सोचते हो कि परमेश्वर अपने राज्य के लिए तुम्हें अपने वरदान और फल देगा?
हाँ! 
इसका मतलब इस शरीर के देखभाल की ज़रुरत है 
इसका मतलब है कि इस शरीर, आत्मा और प्राण के देखभाल की ज़रुरत है 
ऊपर वाला वचन कहता है कि उसने अपनी आत्मा अर्थात अपना स्वभाव हमें दे दिया है 
ठीक!
मैं तुम्हें एक उधारण देती हूँ -
जब मेरा पुत्र जन्मा तो वह कुछ मेरे और कुछ अरुण के स्वभाव को लेकर जन्मा | जैसे-जैसे वह बड़ा होता गया उसके व्यवहार में हमारे व्यवहार की झलक दिखाई दी, क्योंकि वह हमारे संग-संग रह रहा था 
तुम नया जीवन पा चुके हो, परमेश्वर तुम्हारा पिता है और तुम परमेश्वर के निवास स्थान हो, इसका मतलब है कि परमेश्वर तुम्हारे संग-संग है 
अगर तुम परमेश्वर के हाथ में अपना नियंत्रण दे दो, तो तुम उसके स्वभाव के सहभागी हो जाओगे, लेकिन याद रहें- परिपक्वता एक प्रतिक्रिया है |
बोलो -  परिपक्वता एक प्रतिक्रिया है
एक पल लो और अपने आप को जांचों 
क्या तुम्हारा दिल लोगों के लिए द्रवित हुआ है?
क्या तुमने यीशु के स्वभाव को ग्रहण किया है?
क्या तुम्हारा दृष्टिकोण लोगों के प्रति प्रेम भरा है?
क्या तुम यीशु को तुम्हें अपने स्वभाव में रूपांतरित करने की अनुमति दोगे?
बोलो - हाँ! परमेश्वर अनुमति है 
उसका स्वभाव कैसा है?
पढ़ें गलातियों 5:22-23,
पर आत्मा का फल प्रेम, आनन्द, मेल, धीरज, और कृपा, भलाई, विश्वास, नम्रता, और संयम हैं; ऐसे ऐसे कामों के विरोध में कोई भी व्यवस्था नहीं। 
मैंने अपने पिछले सन्देश में नौ नहीं बल्कि पवित्र आत्मा के बारह फल का जिक्र किया था 
पढ़ें प्रकाशित वाक्य 22:1-2,
फिर उस ने मुझे बिल्लौर की सी झलकती हुई, जीवन के जल की एक नदी दिखाई, जो परमेश्वर और मेंम्ने के सिंहासन से निकल कर उस नगर की सड़क के बीचों बीच बहती थी। और नदी के इस पार; और उस पार, जीवन का पेड़ था: उस में बारह प्रकार के फल लगते थे, और वह हर महीने फलता था; और उस पेड़ के पत्तों से जाति जाति के लोग चंगे होते थे। 
फिर 
पढ़ें यहेज़केल 47:9-12,
और जहां जहां यह नदी बहे, वहां वहां सब प्रकार के बहुत अण्डे देने वाले जीव-जन्तु जीएंगे और मछलियां भी बहुत हो जाएंगी; क्योंकि इस सोते का जल वहां पहुंचा है, और ताल का जल मीठा हो जाएगा; और जहा कहीं यह नदी पहुंचेगी वहां सब जन्तु जीएंगे।
10 ताल के तीर पर मछवे खड़े रहेंगे, और एनगदी से ले कर ऐनेग्लैम तक वे जाल फैलाए जाएंगे, और उन्हें महासागर की सी भांति भांति की अनगिनित मछलियां मिलेंगी।
11. परन्तु ताल के पास जो दलदल ओर गड़हे हैं, उनका जल मीठा न होगा; वे खारे ही रहेंगे।
12. और नदी के दोनों तीरों पर भांति भांति के खाने योग्य फलदाई वृक्ष उपजेंगे, जिनके पत्ते न मुर्झाएंगे और उनका फलना भी कभी बन्द न होगा, क्योंकि नदी का जल पवित्र स्थान से निकला है। उन में महीने महीने, नये नये फल लगेंगे। उनके फल तो खाने के, ओर पत्ते औषधि के काम आएंगे। 
दो भिन्न पुस्तकों में से इन वचनों को पढ़ने के बाद यह निश्चित हो जाता है कि परमेश्वर हमारे शरीर और स्वभाव के प्रति चिंतित है और उसके स्वभाव के बारह अलग-अलग स्वाद है 
क्या तुम परमेश्वर के स्वभाव को खोजने के लिए तैयार हो?
चलिए हम प्रेम से शुरुआत करते है 
 पढ़ें 1 थिस्सलुनीकियों  4:9
किन्तु भाईचारे की प्रीति के विषय में यह अवश्य नहीं, कि मैं तुम्हारे पास कुछ लिखूं; क्योंकि आपस में प्रेम रखना तुम ने आप ही परमेश्वर से सीखा है।
कौन तुम्हें प्रेम सिखाएगा?
बोलो - परमेश्वर स्वयं 
आज के सामाज में प्रेम शब्द का दुरूपयोग होता है 
इस शब्द की हम इस तरह व्याख्या कर सकते है 
1. परमेश्वर का प्रेम-अनुराग जो बिना शर्त है 
2. पति-पत्नी का प्रेम-लगाव जो एक दूसरे के प्रति है 
3. पारिवारिक प्रेम जो परिवार के सदस्यों में होता है 
4. आपसी-प्रेम जो भाई-चारे या मैत्रीपूर्ण है 
इसके अतिरिक्त प्रेम अपवित्र है 
अब कौन है जो तुम्हें प्रेम सिखाएगा?
बोलो-पवित्र आत्मा
याद रहें 
वरदान दिए जातें है लेकिन फल विकसित होतें है 
अगर तुम एक फल का पौधा लगाना चाहो तो तुम क्या करोगे?
1. एक फल का चुनाव करोगे 
2. उसके लिए एक स्थान निर्धारित करोगे 
3. मिटटी की गुडाई करोगे 
4. पौधा लगाओगे 
5. जमीन सोफ्ट और गीली रखोगे 
6. उसका रखरखाव या ध्यान रखोगे 
इसका मतलब है पौध लगाने के पहले तुम छाटोगे और फिर चार से पांच साल तक उसकी देखभाल करोगे 
उसके बाद उस फल के पौधे का रूप दिखाई देगा 
इससे यह स्पष्ट पता चलता है कि परिपक्वता एक रात में नहीं आती, जैसे एक पेड़ का फल एकदम से नहीं बनाता उसी तरह एक व्यक्ति का गुण भी परिपक्व होने में समय लेता है 
यीशु ने मनुष्य के चरित्र के बारे में कहा 
पढ़ें मत्ती 7:16-20
उन के फलों से तुम उन्हें पहचान लोग क्या झाडिय़ों से अंगूर, वा ऊंटकटारों से अंजीर तोड़ते हैं? इसी प्रकार हर एक अच्छा पेड़ अच्छा फल लाता है और निकम्मा पेड़ बुरा फल लाता है। अच्छा पेड़ बुरा फल नहीं ला सकता, और न निकम्मा पेड़ अच्छा फल ला सकता है। जो जो पेड़ अच्छा फल नहीं लाता, वह काटा और आग में डाला जाता है। सो उन के फलों से तुम उन्हें पहचान लोगे।
मैं तुमसे प्यार करता हूँ यह कहना जितना सरल है, किसी को प्रेम करना उतना ही कठिन है 
ध्यान से सुनो और जांचों 
1. परमेश्वर के प्रति हमारा प्रेम प्रदर्शन 
पढ़ें मालाकी 3:8, 
अगर तुम परमेश्वर को दे नहीं सकतें हो तो तुम्हें परमेश्वर पर भरोसा नहीं है, फिर परमेश्वर के प्रति तुम्हारा प्रेम कहाँ है? 
2. लोगों के प्रति हमारा प्रेम प्रदर्शन 
जब कोई व्यक्ति तुम्हारी मर्जी के विपरीत और तुम्हें अपशब्द कहें, तुम भड़क पड़ते हो, तुम्हारा लोगों के प्रति प्रेम कहाँ गया?
यीशु ने पिता से उसे पीढ़ा पहुचाने वालों को माफ़ कर देने को कहा 
3. पवित्र आत्मा के प्रति हमारा प्रेम प्रदर्शन 
पढ़ें गलातियों 5:19-21, 
कितनी बार दूसरो को आगे बढ़ता देख कर तुम्हारा दिल ईर्ष्या से भर जाता है, क्या तुम भूल गए कि तुम पवित्र आत्मा का मंदिर हो? 
2 राजा 18:30-38, में एलिया ने वेदी को पूरी तरह पानी से भिगो दिया लेकिन उसने जैसे ही परमेश्वर को आवाज़ लगाई स्वर्ग से आग उतरी और सब जला गई |
आज फिर उसी आग की हमें ज़रुरत है
आग जो हमारे चरित्र से सब कुछ जो अशुद्ध है जला दे 
जब अशुद्ध जल जायेगा बीमारियाँ भाग जायेंगी, तकलीफें भाग जायेंगी 
तब तुम पवित्र आत्मा का पवित्र मंदिर होगे 
जिसके हाथ लोगों को चंगाई देंगे 
जिसकी उपस्थिति लोगों को आशीषित करेगी 
अपने स्थान पर खड़े हो, 
परमेश्वर तुम्हे प्रेम सिखाना चाहता है 
क्या तुम प्रेम सीखने के लिए तैयार हो?
क्या तुम प्रेम को एक विकल्प बना रहें हो 
चलो प्रार्थना करें 
पिता परमेश्वर, होने पाए कि मैं आप के प्रेम से भर जाऊं  इसलिए मेरी मदद करें, ताकि मैं अच्छे फल धारण कर सकूं, मेरी मदद करें ताकि मैं अच्छे और बुरे फल को परख सकूं और मुझमें परमेश्वर का बिना शर्त वाला अनुराग बह सके प्रभु यीशु के नाम पर|
आमीन

Saturday, February 2, 2013

एक बेहतर समाधान


छमाही के इम्तिहान के बाद जब हम लोग रिपोर्ट कार्ड्स बना रहें थे, एक प्राइमरी की टीचर से रिपोर्ट कार्ड भरने में कुछ गलती हो गयी, प्राइमरी के प्रिंसिपल ने उससे कहा पूरे रिपोर्ट कार्ड्स बाहर से फोटोकॉपी कराओ और फिर से भरो| यह उसके लिए काफी मुश्किल काम था, उसने शिकायत की कि उसे नहीं पता था कि इस कॉलम में टिक नहीं करना था  |
इस पूरे किस्से में मुझे यह याद  है कि वह इस बात पर बहुत कटु, क्रोधित और हताश सी हो गयी थी |
अच्छा होता यदि प्राइमरी के प्रिंसिपल ने सफ़ेद-इंक सोलुशन का प्रयोग किया होता!
तुम क्या करोगे यदि कोई तुम्हारे प्रति गलत करे?
पढ़ें मत्ती 6:12,14-15
और जिस प्रकार हम ने अपने अपराधियों को क्षमा किया है, वैसे ही तू भी हमारे अपराधों को क्षमा कर।
परमेश्वर ने हम सबको एक बेहतरीन सफ़ेद-इंक दे रखी है
यह यीशु मिलेनियम उत्पादन है
उसने तुम्हें और मुझे मुफ्त में दिया है | इस उत्पादन का ब्रांड नाम “क्षमा” है| वह हमारी गलतियों पर उसका प्रयोग करता है और चाहता है कि हम भी उसका प्रयोग दूसरों की गलतियों पर करें | लेकिन कई बार हम इसका प्रयोग करने में असफल हो जातें हैं, और गलतियों को जबरदस्ती ब्लेड या फिर रबर से छुड़ाने की कोशिश करतें है, जिसके फलस्वरूप दाग पड़ जाता है
लेकिन सफ़ेद इंक एक अच्छा समाधान है, यह हमारी गलतियों को छिपा देगी और सफ़ेद जगमगाहट के साथ हमारी की गयी गलतियों से अनजान भी ना रखेगी
बोलो - मैं अपनी बीती हुयी गलतियों से अनजान नहीं हूँ
बोलो - सफ़ेद इंक एक बेहतर समाधान है
हमेशा मैं अपने छात्रों को यहाँ-वहां गलतिया करते हुए देखती हूँ, अगर हम इनका विश्लेषण करे, तो हमे स्पष्ट रूप से 3 विभिन्न स्तर दिखाई देतें है
1.   उन्होंने गलतियाँ की क्योंकि वे अभी परिपक्व नहीं हुयें है
2.   उन्होंने गलतियाँ की क्योंकि उनका पालन पोषण ठीक तरह से नहीं हुआ है
3.   उन्होंने गलतियाँ की क्योंकि वे यह स्कूल छोड़ कर जा रहें थे
जब भी कभी कुछ भी मेरे जीवन में होता है या फिर मेरे इर्द-गिर्द होता है, मैं तुरंत और सदैव समय लेती हूँ और छात्रों के जीवन के जरिये जीवन के पैटर्न का अध्यन करने लगती  हूँ. परमेश्वर का राज्य किसी स्कूल से कम नहीं है.
बोलो - मैं सीख रहा हूँ
बोलो - सफ़ेद इंक एक बेहतर समाधान है
जीवन का हर एक्शन मनुष्य के जीने की आतंरिक और बेसिक ज़रुरत पर निर्भर है, जो कि वास्तव में आत्म-प्रेम है |
अपने पास बैठे व्यक्ति से पूछो, तुम अपने को कितना प्यार करते हो?
बहुत बार जब हम अपने बीते हुए पल को देखते है तब सोचते है कि क्या अच्छा होता जो मुझे इन बातों का ज्ञान होता, तो मैं इनके साथ इस तरह ना करता
इस दृष्टिकोण से क्या तुम बोलोगे कि तुमने जो किया था वह गलत नहीं था!
बिलकुल नहीं, जो गलत है वह गलत है! लेकिन उन बातों को बताया जा सकता है, बोला जा सकता है
फिर भी, यह ज़रूरी है कि हम जाने कि हमने ऐसा क्या और क्यों किया, ताकि हम स्वयम को माफ़ कर सकें| यदि हम स्वयं को माफ़ नहीं करतें है तो हमारी अपनी उन्नति प्रभावित होती है
बोलो - यह समय बीती हुयी गलतियों के बोझे से मुक्त होने का है
बोलो - सफ़ेद इंक एक बेहतर समाधान है
हम सब सीख रहें है और बढ़ रहें है, चाहे जैसा भी हो हमारा विकास हो रहा है |हम सबके बीते हुए कल में शर्म और गलती का अहसास है| बचपन में बहुत बार हमे सजा मिली, जिसका कारण भी पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हुआ | हम छोटे थे इसलिए पूछने की रजामंदी नहीं मिली, पर उन लम्हों ने हमारे जीवन में “गलत हो”, “बुरे हो” या फिर “अपेक्षाकृत ठीक नहीं हो” ऐसी छाप छोड़ दी
यह नकारात्मक टिपण्णी हमे अधिक चोट ही पहुचाती है जो परमेश्वर के वचनों से परे है
परमेश्वर हमें अनोखा, विशिष्ट, आशीषित और अपनी आँखों का तारा कहता है
बोलो - मैं परमेश्वर की आँखों का तारा हूं
बोलो - सफ़ेद इंक एक बेहतर समाधान है
पढ़ें रोमियो 12:17-19
बुराई के बदले किसी से बुराई न करो; जो बातें सब लोगों के निकट भली हैं, उन की चिन्ता किया करो। जहां तक हो सके, तुम अपने भरसक सब मनुष्यों के साथ मेल मिलाप रखो। हे प्रियो अपना पलटा न लेना; परन्तु क्रोध को अवसर दो, क्योंकि लिखा है, पलटा लेना मेरा काम है, प्रभु कहता है मैं ही बदला दूंगा।
मुझे इन वचनों के दो शब्द बहुत पसंद है ये मेरे अन्दर आनंद भर देतें हैं
इन दो वचनों ने मुझे पापी से धर्मी बना दिया
ये बेहतरीन शब्द हैं “बदला” और “कोप”
क्या !! बदला और कोप, अरे ये कैसे बेहतरीन शब्द हो सकतें हैं!!
बाइबल में लिखा है कि परमेश्वर चाहता है कि हम सब उसके ज्ञान को जाने, वह चाहता है कि हम सब बच जाएँ  कभी मैं पापी थी और परमेश्वर के कोप तले थी और बहुत  तकलीफ में थी, लेकिन सोचो ये परमेश्वर का बदला और कोप ही था जो मैं उसे खोजने लगी, और उसकी सजा मुझे उसके राज्य में ले आई, इसका मतलब है कि परमेश्वर के कोप में घृणा नहीं है बल्कि बिगड़े हुए संबंधो का फिर से बनाना है | इसी कारण पौलुस ने लिखा कि बदला मत लो परमेश्वर के कोप को काम करने दो
तुम्हारा क्रोध कैसा है??? क्या ये संबंधो को जोड़ने या फिर तोड़ने वाला है ??
बोलो - परमेश्वर सक्षम है
बोलो - सफ़ेद इंक एक बेहतर समाधान है
परमेश्वर के दृष्टिकोण से - उससे कुछ भी छिपा नहीं है फिर भी वह हमेशा माफ़ कर देता है, हमारे पापों को भूल जाता है और उनका स्मरण नहीं करता है
पढ़ें इब्रानियों 8:12
क्योंकि मैं उन के अधर्म के विषय मे दयावन्त हूंगा, और उन के पापों को फिर स्मरण न करूंगा।
बोलो - परमेश्वर हमारे पापों को याद नहीं रखता है
बोलो - सफ़ेद इंक एक बेहतर समाधान है
माफ़ी से सम्बंधित 3 स्तर हैं
1.   बाहरी - हम उपरी मन से कहतें है कि माफ़ कर दो, या फिर माफ़ किया परन्तु दिल से ऐसा नहीं करते हैं
2.   भावनाओं पर आधारित - कई बार हम भावनाओं में बहकर माफ़ी मंगतें है या फिर माफ़ कर देतें है पर वास्तव में नहीं
3.   आत्मा की अगुवाई द्वारा - जब पवित्र आत्मा की अगुवाई होती है वह ही सच्चा पश्चाताप है, उसमें सदैव संबंधों का बनना है, हो सकता है कि लोगों के बीच सम्बन्ध फिर से ठीक ना हो, पर  हम और हमारा परमेश्वर फिर से एक हो जाते है
बहुत बार जब किसीसे गलतियाँ हो जाती है, लोग उसे तुच्छ समझने लागतें है जैसे वह अपराधी हैं, जैसे अब कुछ किया ही नहीं जा सकता, परमेश्वर का कोप उस पर है और वह नष्ट हो जायेगा, वह नरक में जायेगा, दुष्ट आत्माए उस पर है, वगेरह - वगेरह |
कानूनी तौर पर जब तक जज निर्णय ना दे तब तक, कटघरे में खड़े व्यक्ति को अपराधी नहीं कहा जा सकता है| इसलिए अच्छी रिपोर्ट जान लो - हमारा जज यीशु हमारे पाप माफ़ करने वाला  है
बोलो - मैं स्वर्ग के मार्ग पर हूं
बोलो - सफ़ेद इंक एक बेहतर समाधान है
याद रखो परमेश्वर के मार्ग पर चलना एक दिन में नहीं सीखा जा सकता है | यह एक यात्रा है
गलतियों के जरिये हम सीखते और बढ़तें है
हमारे सृजनहार के दृष्टिकोण से यह गलतियाँ नहीं बल्कि अनुभव है जो वह हमे दूसरो के मार्ग दर्शन के लिए देता है
पढ़ें इब्रानियों 12:1-3
इस कारण जब कि गवाहों का ऐसा बड़ा बादल हम को घेरे हुए है, तो आओ, हर एक रोकने वाली वस्तु, और उलझाने वाले पाप को दूर कर के, वह दौड़ जिस में हमें दौड़ना है, धीरज से दौड़ें। और विश्वास के कर्ता और सिद्ध करने वाले यीशु की ओर ताकते रहें; जिस ने उस आनन्द के लिये जो उसके आगे धरा था, लज्ज़ा की कुछ चिन्ता न करके, क्रूस का दुख सहा; और सिंहासन पर परमेश्वर के दाहिने जा बैठा। इसलिये उस पर ध्यान करो, जिस ने अपने विरोध में पापियों का इतना वाद-विवाद सह लिया कि तुम निराश होकर हियाव न छोड़ दो।
आनंदित हो क्योंकि तुम आगे बड़ रहें हो चाहे थोड़ा -थोड़ा ही क्यों ना हो
परमेश्वर का उद्धार, उसका प्यार है हमारे लिए, और उसका पवित्र आत्मा तुम्हारा मार्ग दर्शन करेगा, रक्षा करेगा, प्रेम करेगा, माफ़ करेगा और फिर प्रेम करेगा |
बोलो - परमेश्वर ने हमें एक बेहतरीन सफ़ेद -इंक दी है
बोलो - यीशु मिलेनियम उत्पादन एक बेहतर समाधान है
प्रार्थना करो माफ़ी की, माफ़ कर दो, पुराने अपराधों या गलतियों की चोटों को मिटा दो, जिन्होंने दुःख पहुचाया है उन्हें परमेश्वर के हवाले कर दो
औए अपने जीवन में भरपूर पाने के लिए तैयार हो जाओ
अमीन

Wednesday, January 30, 2013

पहला फल पवित्र है


येशु परमेश्वर का पहला फल  है और परमेश्वर की निगाह में पवित्र है| उसी के जरिये सारी मानव जाति परमेश्वर के सन्मुख पवित्र ठहरी है
प्रथम  फल  के  अध्धयन के  जरिये हम जान पातें हैं कि  प्रथम फल परमेश्वर की निगाह में  पवित्र है  
और जो भी परमेश्वर की निगाह में पवित्र है वो उसे स्वीकार कर लेता है
क्या तुम चाहते हो कि परमेश्वर तुम्हें स्वीकार करें?
हाँ
बोलो - मैं  पवित्र हूँ
परमेश्वर को हर समय   प्रथम स्थान पर रक्खो
अपनी पढाई में
अपनी दोस्ती में
अपने रिश्तों में
अपनी नौकरी में
अपने धन में
तुम जो भी करो उन सबमें
पढो मत्ती 6:33
इसलिये पहिले तुम उसे राज्य और धर्म की खोज करो तो ये सब वस्तुएं भी तुम्हें मिल जाएंगी।
परमेश्वर का राज्य कहाँ है?
जहाँ परमेश्वर के नियमों को माननेवाले मिलतें है
परमेश्वर केनियमों को मानने वाले कहाँ मिल सकतें है?
बोलो - मुझमें
पढो लुका 17:20-21
जब फरीसियों ने उस से पूछा, कि परमेश्वर का राज्य कब आएगा? तो उस ने उन को उत्तर दिया, कि परमेश्वर का राज्य प्रगट रूप से नहीं आता। और लोग यह न कहेंगे, कि देखो, यहां है, या वहां है, क्योंकि देखो, परमेश्वर का राज्य तुम्हारे बीच में है॥
और लुका 11:20
परन्तु यदि मैं परमेश्वर की सामर्थ से दुष्टात्माओं को निकालता हूं, तो परमेश्वर का राज्य तुम्हारे पास आ पहुंचा।
बोलो - परमेश्वर का राज्य हमारे बीच में है
पढो लैव्यव्यवस्था 23:14
और जब तक तुम इस चढ़ावे को अपने परमेश्वर के पास न ले जाओ, उस दिन तक नये खेत में से न तो रोटी खाना और न भुना हुआ अन्न और न हरी बालें; यह तुम्हारी पीढ़ी पीढ़ी में तुम्हारे सारे घरानों में सदा की विधि ठहरे॥
परमेश्वर तुम्हें अवश्य ही आशीष देगा
पढो रोमियो 11:16
जब भेंट का पहिला पेड़ा पवित्र ठहरा, तो पूरा गुंधा हुआ आटा भी पवित्र है: और जब जड़ पवित्र ठहरी, तो डालियां भी ऐसी ही हैं।
हमारा परमेश्वर कभी न बदलने वाला परमेश्वर है
उसके सिद्धांत  कभी न बदलने वाले हैं
उसके सभी आदेश हमारे प्रावधान और बहुतायत के लिए है
परमेश्वर हमारे जीवन में सभी उत्तम वस्तुओं को देखना चाहता है
तो हम क्या करें?
हम अवश्य ही परमेश्वर के शब्दों के सत्य  का अनुसरण करें
जब हर प्रथम भाग परमेश्वर की निगाह में पवित्र है तो रोमियो  11:16 के अनुसार परमेश्वर की उपस्थिती और उसका प्रावधान हमारे शेष को भी सुरक्षित कर देगा
लैव्यव्यवस्था 23 के अनुसार इस्राइलों को आदेश दिया गया था कि वो हर फसल के मौसम की शुरुवात में परमेश्वर सामने विशेष भेंट लाएं
जनवरी का महीना हमारी फसल के मौसम की शुरुवात है 
इस भेंट को प्रथम फल बोला गया क्योंकि ये हमारे आगें आने वाले या प्राप्त  होने वाली तनख्वाह या आशीषों   का पहला हिस्सा है यानी कि आने वाले 11 महीनों का भाग, इसका मतलब है परमेश्वर हमारी कमाई की देखभाल करेगा
बोलो - प्रभु येशु हम इस भाग को आपको देतें है क्योंकि हम अपनी पूरी फसल की पैदावार  को जानते है कि वो आपके द्वारा हमें मिलती है
बोलो - हम अपना प्रथम फल आपको देतें है क्योंकि ये आपका ही है
बोलो - ये अति सुंदर पवित्र शास्त्र  का सिद्धांत है जो हमारे जीवन में परमेश्वर की संतान होने के नाते लागू होता है
बोलो - जब हम परमेश्वर को भेंट देतें है हम   कहतें  है  कि  हमारा  सब  कुछ  परमेश्वर  का  है और हम विश्वास करतें है कि परमेश्वर हमारी हर ज़रुरत को पूरी करेगा
येशु परमेश्वर का पहला फल  है और परमेश्वर की निगाह में पवित्र है| उसी के जरिये सारी मानव जाति परमेश्वर के सन्मुख पवित्र ठहरी है
पिता मैं प्रभु यीशु के नाम पर प्रार्थना करती हूँ कि प्रथम फल के सिद्धांत को जीवन में अपनाना एक तरह से परमेश्वर की सामर्थ्य और उसके प्रावधान को स्मरण करना है, और पुरे विश्व से उसका सम्बन्ध सिद्ध करना है। प्रभु हम अपना पहला फल पुरे विशवास के साथ लाते हैं और परमेश्वर को बहुतायत के लिए धन्यवाद देते है।
आमीन 


Wednesday, January 2, 2013

कोई स्थिति निराशाजनक नहीं है

"सफलता दिमाग की सोच  है"
तुम्हारे रवैये के द्वारा तुम्हारी सोच निर्धारित होती है | अगर तुम्हारी सोच जीवन में सफलता पाने की है तो तुम अपने दिमाग और शरीर को अनुशाषित करोगे | यहीं से शुरुआत होती है जीत की |
प्रकाशित वाक्य 12:11 में लिखा है, "और वे मेमने के लहू के कारण और अपनी साक्षी के वचन के कारण उस पर विजयी हुए हैं"
यह मेमना कौन है?
पढ़ें युहन्ना 1:29, …….”देखो परमेश्वर का मेमना जो जगत का पाप उठा ले जाता है"
बोलो - मेरे पापों का भुगतान हो चुका है
बोलो - मैं विजयी हूं
कुछ समय पहले मैंने एक कहानी पढ़ी, जो एक गरीब आदमी के बारे में थी जो अमीर हो गया था | उस समय बहुत अमीर व्यक्ति ही कार खरीद सकते थे | अपनी अमीरी दिखाने के लिए उस व्यक्ति ने एक कार खरीद ली, और अच्छे कपडे व टोपी भी खरीदी | हर रोज़ सुबह वह अपनी कार से जाता और लोगों को अभिवादन करता था और शाम को लौट आता था, लेकिन उसे होर्न बजाने की कभी भी जरूरत नहीं पड़ी |
क्या तुम जानना चाहोगे ऐसा क्यों हुआ?
क्योंकि उसकी कार के आगे दो घोड़े बंधे थे जो पूरा दिन उसकी कार को खींचते थे
क्या तुम जानना चाहोगे कि घोड़े उसकी कार को क्यों खींचते थे?
क्योंकि उसको कार चलानी नहीं आती थी
बहुत बार हम भी उसी व्यक्ति जैसे होते है, जिसके अन्दर परमेश्वर के द्वारा दी गयी असीम सामर्थ है, पर अज्ञानता के कारण परमेश्वर के आशीषों से वंचित रहते है
बोलो - मुझमे सामर्थ है
बोलो - मैं आशीषों के दायरे में रहूँगा
मैं तुम्हे थोड़ा और आगे ले चलती हूं, यह तुम्हारी आँखों को खोल देगा और तुम परमेश्वर द्वारा दी गयी योग्यताओं को पहचानोगे
पढ़े लुका 16:19-26,
"एक धनी पुरुष था जो सदा बैजनी वस्त्र व मलमल पहिना करता था और प्रतिदिन बड़े धूमधाम व सुख-विलास से रहता था | और लाजर नाम का एक कंगाल व्यक्ति घावों से भरा हुआ उसके फाटक पर छोड़ दिया जाता था, उस धनवान पुरुष की मेज से जो तुकडे गिरते थे, उनसे वह पेट भरने को तरसता था | इसके अतिरिक्त कुत्ते भी उसके घावों को आकर चाटा करते थे  | ऐसा हुआ कि कंगाल पुरुष मर गया और स्वर्गदूतों ने उसे इब्राहिम की गोद में पहुंचा दिया | वह धनी पुरुष भी मरा और दफना दिया गया | तब अधोलोक में अत्यंत पीड़ा में पड़े हुए उसने अपनी आँखें उठायी और दूर से इब्राहीम को देखा जिसकी गोद में लाजर था | तब उसने पुकार कर कहा, "हे पिता इब्राहीम मुझ पर दया कर | लाजर को भेज कि वह अपनी उंगली का सिरा पानी में डुबो कर मेरी जीभ को ठंडा करे, क्योंकि मैं इस ज्वाला में पड़े तड़प रहा हूं"| परन्तु इब्राहीम ने कहा, "हे पुत्र स्मरण कर कि तू अपने जीवन में सब अच्छी वस्तुएं प्राप्त कर चुका है और इसी प्रकार लाजर बुरी वस्तुएं , परन्तु अब वह यहाँ शांति पा रहा है और तू पीड़ा में पड़ा तड़प रहा है |इसके अतिरिक्त हमारे और तुम्हारे मध्य एक अथाह खाई निर्धारित की गयी है कि यहाँ से कोई उस पार जाना भी चाहे तो ना जा सके, और वहां से यदि कोई इस पार हमारे पास आना चाहे तो ना आ सके |
यहाँ पर किन्ही बातों पर ध्यान दो
1 . कहानी बताने वाला कोई और नहीं यीशु है और वही न्याय के दिन न्यायाधीश होगा
2 . न्यायाधीश को सजा देने या माफ़ी देने का पूरा अधिकार है
3 . उससे मांगो तो वह तुम्हारे पाप माफ़ कर देगा
4 . धनी व्यक्ति की चाल परमेश्वर के सम्मुख सही नहीं थी, लेकिन उसने अपने काम-काज पर भली प्रकार ध्यान दिया हुआ था इसी कारण वह धनवान था, उसने सफलता तो पाई पर स्वर्ग खो दिया
5 . इसका मतलब है कि वह पाप कर रहा था
6 . भिखारी लाजर के पास सब सामर्थ थी जिससे वह इस दुनिया में सुख पूर्वक रह सकता था लेकिन उसने अपनी अज्ञानता के कारण सुख नहीं पाया
पढ़ें होशे 4:6, अज्ञानता के कारण  मेरी प्रजा नाश हो जाती है
7 . इसका मतलब है कि लाजर आलसी था और अज्ञानता के कारण परमेश्वर के दिए हुए आशीष को नहीं जानता था
8 . वह बीमार था और काम नहीं कर सकता था, इसी कारण वह धनी व्यक्ति की जूठन पर निर्भर था
9 . वह परमेश्वर की चंगाई से अज्ञान था
यहाँ पर इन दोनों के अंत को ध्यान से देखो, धनी को अनंत पीड़ा और भिखारी को अनंत जीवन मिला
बोलो - मैं नाश ना हूँगा
बोलो - क्योंकि मैं अज्ञान नहीं हूं
बहुत बार मैंने अपने गुजरे हुए कल में परमेश्वर से प्रश्न किया है, "बुरे व्यक्ति क्यों फलते-फूलते हैं?
ऐसा ही यिर्मियाह भी कहता है
पढ़े यिर्मियाह 12:1
हे यहोवा तू तो धर्मी है कि मैं अपना मुक़दमा तेरे सम्मुख लडूं, वास्तव में मैं न्याय की बातों का तेरे साथ विवाद करूंगा, दुष्टों का मार्ग क्यों सफल होता है? क्या कारण है जो विश्वासघात करते है वे सुख से रहते है?
जैसे-जैसे मैं परमेश्वर में बढ़ने   लगी, मैंने उसके तीन सिद्धांतों को जाना और समझा कि ऐसा क्यों होता है?
1 . मैंने उत्पत्ति 3:17 के अनुसार जाना, ........ इसलिए भूमि तेरे कारण शापित है | तू उसकी उपज जीवन भर कठिन परिश्रम के साथ खाया करेगा |
इसलिए प्रत्येक व्यक्यी कठिन परिश्रम से सफलता पातें है
2 . मैंने व्यवस्थाविवरण 8:17 और 18 के अनुसार जाना, "तू अपने मन में यह ना कहने लगे कि मैंने यह सारी संपत्ति अपने सामर्थ तथा बाहुबल से कमाई है, परन्तु तू अपने परमेश्वर यहोवा को स्मरण रखना क्योंकि वही तुझको संपत्ति प्राप्त करने का सामर्थ्य देता है कि वह अपनी उस वाचा को पूरी करे......."
3 . मैंने यह जाना कि संपत्ति विरासत से भी प्राप्त होती है
लोग कैसे संपती पातें है इस बात को मैं इस तरह से बता सकती हूं
१. कठिन परिश्रम से
2 . कठिन परिश्रम और परमेश्वर के अनुग्रह से
3 . विरासत में मिली संपत्ति से
4 . छल-कपट से
अगर मैं पूछूं किस तरह की संपत्ति सबसे अच्छी है तो तुम क्या कहोगे?
कठिन परिश्रम और परमेश्वर के अनुग्रह से!!!
बोलो - मैं हर दिन कठिन परिश्रम करता हूं
बोलो - मुझ पर परमेश्वर का अनुग्रह है
आज मैं तुम सभी को उत्साहित करना चाहूंगी और बताना चाहूंगी कि तुम कैसी भी स्थिति में क्यों ना हो, प्रभु यीशु में आशा है | इसलिए अपनी स्थिति से बाहर आओ और परमेश्वर द्वारा दी गयी योग्यता में प्रवेश करो और पवित्र आत्मा को अपने जीवन में काम करने दो और सफल जीवन जीयो
परमेश्वर चाहता है कि हम ज्ञानवान हों
परमेश्वर चाहता है कि हम समृद्धशाली हों
परमेश्वर चाहता है कि हम स्वर्ग में जाएँ ना कि नरक में
परमेश्वर चाहता है कि हम पाप मुक्त हों
परमेश्वर चाहता है कि हम बिमारी से छूटकारा पाएं
अपने स्थान पर खड़े हो और परमेश्वर से बात करो
उससे बोलो कि वह तुम्हें माफ़ कर दे और अपने अनुग्रह से भर दे
आमीन