Sunday, December 30, 2012

जीने की आतंरिक ज़रुरत

"जीवन का हर एक्शन मनुष्य के जीने की आतंरिक और बेसिक ज़रुरत पर निर्भर है, जो कि वास्तव में आत्म-प्रेम है|"
मुझे अभी भी याद है, जब हम अपने बेटे को जो कि अमेरिका जा रहा था टीका लगवाने के लिए सरकारी अस्पताल ले गए| वहां रिसेप्शन पर छोटे बच्चो के वजन तौलने वाला काउंटर था | वजन की मशीन के हुक में एक रोम्पर जैसी ड्रेस लटक रही थी| एक माँ अपने दो महीने के बच्चे का वजन लेने आई | उसका बच्चा बड़े आराम से अपनी माँ की गोद में सोया हुआ था| उसने उस बच्चे को तौलने वाले रोम्पेर बैग में डाला, तब तक बच्चे को कोई परेशानी नहीं हुयी, लेकिन जैसे ही उसकी माँ ने उसे हूक पर लटकाया, बच्चे ने अपनी जान बचाने के लिए अपने हाथ-पैर तेजी से मारे और चिल्ला कर रोने लगा
बच्चे ने ऐसा क्यों किया?
उसने असुरक्षित महसूस किया और अपनी काबलियत के अनुसार बचाव की कोशिश की
हम और तुम भी अपने जीवन को बचाने के लिए कुछ ऐसा ही करते है
क्या यह सच नहीं है?
याद रहें, "जीवन का हर एक्शन मनुष्य के जीने की आतंरिक और बेसिक ज़रुरत पर निर्भर है, जो कि वास्तव में आत्म-प्रेम है |"
हम अपने परिवार से प्रेम करते है, मित्रों से करते हैं, रिश्तेदारों से करते है और अपने पड़ोसियों से भी करते है | एक तरह से हम सभी अपने चाहने वालों के लिए अनमोल हैं |
परमेश्वर भी हमे अपने परिवार की तरह प्रेम करता है | हम परमेश्वर की निगाह में इतने अनमोल हैं कि उसने हमारे लिए अपना पुत्र दे दिया कि जो उस पर विश्वास करे वह अनंत जीवन पाए |
सन 2001 में मैंने अपने जीवन में इतना संघर्ष किया कि मुझे हर सड़क का अंत बंद लगा |  मैं तंजानिया में थी, मेरा बेटा मिशन स्कूल में पढ़ रहा था, मैं जिनसे मिलती थी वे यीशु को जानने वाले थे फिर भी किसी ने मुझे यीशु से नहीं मिलवाया| मेरे जीवन में उसकी सख्त ज़रुरत थी फिर भी वह मुझसे दूर रखा गया |
मुझे पूरा विश्वास है कि बहुत लोग अविश्वासियों के उद्धार के लिए प्रार्थना कर रहें होंगे
मुझे पूरा विश्वास है कि बहुत लोग भारतियों के उद्धार के लिए प्रार्थना कर रहें होंगे
मुझे इन सब बातों पर पूरा विश्वास है, लेकिन फिर भी मेरे पास एक भी व्यक्ति मसीह के प्रेम, चंगाई और उद्धार के सन्देश के साथ नहीं आया
उस दिन तक जब मैं पूरी तरह टूट गयी तब परमेश्वर ने मेरी एक मित्र को जो परमेश्वर में नहीं थी का प्रयोग किया, उसने मुझसे किसी ख़ास व्यक्ति के घर जाने को कहा और बोला उससे पूछो कि उसे कैसे छुटकारा मिला|
मैं एक बार फिर बोलूंगी, "जीवन का हर एक्शन मनुष्य के जीने की आतंरिक और बेसिक ज़रुरत पर निर्भर है, जो कि वास्तव में आत्म-प्रेम है|"
क्या तुम मुझसे पूछोगे कि मित्र के सुझाव का मुझ पर क्या प्रभाव पड़ा ?
मैं तुरंत समाधान के लिए भागी!
बोलो- आत्म प्रेम
बोलो- जीने की आतंरिक ज़रुरत
पढ़ें मत्ती 9:37-38
उसने अपने चेलों से कहा, "फसल तो बहुत खड़ी है, पर मजदूर थोड़े हैं, अतः खेत के मालिक से विनती करो कि वह अपने खेत में मजदूर भेजे |"
यीशु ने उपदेश सुनाया, चंगा किया और लोगों को उद्धार दिया
सोचो - मुझे कभी भी विश्वासियों के द्वारा सुसमाचार नाही मिला, लेकिन परमेश्वर ने एक अविश्वासी को मुझे मार्ग दिखाने के लिए प्रयोग में लिया
बोलो - परमेश्वर किसी को भी प्रयोग कर सकता है
बोलो - जीने की आतंरिक ज़रुरत
सोचो - तुम्हारा और मेरा परमेश्वर के राज्य में क्या रोल है
पढ़ें रोमियों 10:14-15
फिर वे उसे क्यों पुकारेंगे जिस पर उन्होंने विश्वास ही नहीं किया? और वे उस पर कैसे विश्वास करेंगे जिसके बारें में उन्होंने सुना ही नहीं? भला वे प्रचारक के बिना कैसे सुनेगे? और वे प्रचार कैसे करेंगे जब-तक वे भेजे नहीं जाएँ? ठीक जैसा कि लिखा है, "उनके पाँव कैसे सुहावने है जो भली बातों का सुसमाचार लाते है !
क्या तुम इंतज़ार कर रहें हो कि कोई तुम्हें भेजे?
तो मेरे पास तुम्हारे लिए एक अच्छी खबर है
पढ़े मत्ती 28:19-20
इसलिए जाओ और सब जातियों के लोगों को चेले बनाओ और उन्हें पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा के नाम से बपतिस्मा दो, और जो-जो आज्ञाएँ मैंने तुम्हें दी हैं उनका पालन करना सिखाओ| और देखो मैं युग के अंत तक सदैव तुम्हारे साथ हूं |
यीशु ने तुम्हे अनुमति दी है कि तुम जाओ और सुसमाचार सुनाओ | अगर तुम नहीं जाओगे, तो वह किसी और को भेज देगा | परमेश्वर लोगों में पक्षपात नहीं करता है | मैं तैयार हूं तो मुझे प्रयोग करेगा, तुम तैयार हो तो तुम्हे करेगा |
बोलो- अपने पडोसी को अपने समान प्रेम करो
बोलो- जीने की आतंरिक ज़रुरत
जिस रात्रि यीशु को सूली पर चढ़ाया गया, पतरस ने यीशु के विषय में तीन बार नाकारा | पतरस ने झूठ बोला क्योंकि वह भयभीत था, लेकिन बाद में उसको बहुत अफ़सोस हुआ और वह रोया | वही पतरस जब यीशु का पुनुरुत्थान हुआ तो वह पूरी तरह से बदल गया, क्योंकि तब वह यीशु का सत्य पूरी तरह से जान चुका था |
पढ़े युहन्ना 21:17
उसने उससे तीसरी बार कहा, "शमौन  युहन्ना के पुत्र, क्या तू मुझसे प्रीति करता है?" पतरस उदास हुआ क्योंकि उसने उससे तीसरी बार ऐसा कहा,, क्या तू मुझसे प्रीति करता है?" और उससे कहा, "हे प्रभु तू सब कुछ जानता है, तू यह भी जानता है कि मैं तुझसे प्रीति करता हूं|
यीशु ने उससे कहा, "तू मेरी भेड़ो को चरा"
आज हममे से प्रत्येक को यह प्रश्न करना चाहिए कि क्या मैं यीशु से प्यार करता हूं?
यीशु पतरस से पूछ सकता था, "क्या तुम विश्वास में दृढ हो, क्या कलीसिया में तुम सम्मानित स्थान पर नियुक्त हो, क्या तुमने दुष्ट आत्माएं भगाई है," लेकिन उसने तो साधारण तरीके से पूछा, शमौन, युहन्ना  के पुत्र, क्या तू मुझसे प्रीति करता है?
कुछ लोग अपना प्रेम अपने काम में, अपने परिवार में, सेवा के काम में लगा देतें हैं और यीशु को इंतज़ार करने देतें हैं
बोलो- यीशु से प्रीति करो
बोलो- जीने की आतंरिक ज़रुरत
यीशु से प्रीति करने से क्या मतलब है?
इसका मतलब है उसको जीवन में प्राथमिकता देना और उसके वचनों पर चलना
पढ़ें भजन संहिता 2:7-8
निश्चय ही मैं यहोवा के वचन का प्रचार करूंगा, उसने मुझसे कहा, "तू मेरा पुत्र है आज ही मैंने तुझे उत्पन्न किया है| मुझ से मांग तो निश्चय ही मैं जाति-जाति को तेरे उत्तराधिकार में और पृथ्वी के छोर तेरी निज भूमि होने के लिए दे दूंगा
यीशु से प्रीति करने का मतलब है उसके लोगों से प्यार करना
जो भी कुछ यीशु का है उसने उसे जो उस पर विश्वास करता है दे दिया .
उसने तुम्हें और मुझे पृथ्वी के छोर तक राज्य करने के लिए चुना है
हम उस छोटे बच्चे की तरह है जिसने अपने जीवन के बचाव के लिए हाथ-पैर इधर-उधर मारे
इस संसार में कोई भी नहीं है जो स्वर्ग से आया हो
इस संसार में कोई भी नहीं है जो तुम्हारे या मेरे लिए मरा हो
हाँ, यीशु ही एकलौता व्यक्ति है जो स्वर्ग से आया, जो मेरे और तुम्हारे लिए मरा और वह और केवल वह ही हमे जीवन दे सकता है, क्योंकि वह ही तीसरे दिन मृत्यु से जी उठा और मृत्यु पर विजयी हो गया
एक कदम उठाओ, जो लोग उसे नहीं जानते है उन्हें उसके बारे में बताओ
बोलो कि वह उनसे प्यार करता है
यीशु के उद्धार और चंगाई का सुसमाचार उन्हें बताओ
यदि कोई हमे नरक कि आग से बच सकता है तो वह सिर्फ यीशु ही है
बोलो- यीशु पूछ रहा है कि क्या तुम मुझसे प्यार करते हो
बोलो- यीशु आदेश देता है कि उद्धार का सुसमाचार बताओ
प्रार्थना -
पिता परमेश्वर यीशु के नाम पर -
लुका 10:2 के अनुसार हम प्रार्थना करते है कि हमे परमेश्वर के राज्य के विस्तार के लिए प्रयोग में लायें और हमे अपना आज्ञा कारी सेवक बनायें, यीशु के नाम पर 
अमीन

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