Friday, November 2, 2012

अपने दिल की चौकसी करो

गलातियों 5:22-23
पर आत्मा का फल प्रेम, आनन्द, मेल, धीरज, और कृपा, भलाई, विश्वास, नम्रता, और संयम हैं; ऐसे ऐसे कामों के विरोध में कोई भी व्यवस्था नहीं।
अगर पहले दो फल प्रेम और आनंद तुममे नहीं है तो तीसरा फल मौजूद हों ये मुश्किल होगा|
इससे पहले मैं आगे बढूँ मेरे कुछप्रश्न है
क्या तुम्हारा जीवन शांति मय है?
क्या तुम्हारे परिवार में शांति है?
क्या तुम अपने माता-पिता की तरफ से शांत हो?
क्या तुम अपने बच्चों की तरफ से शांत हो?
क्या तुम अपने काम से संतुष्ट हो?
क्या अपने बॉस की ओर से शांति है?
तुम्हारे लिए शांति का क्या मूल्य है?
तुम इसके लिए क्या मूल्य दोगे?
तुम क्या सोचते हो कि तुम क्या करो ताकि शांति तुम्हारे जीवन में आ जाये?
परमेश्वर ने क्या किया ताकि शांति तुम्हारे जीवन में आ जाये?
बोलो- अपना पुत्र दिया
पुत्र ने क्या किया ताकि शांति हमारे जीवन में आ जाये?
बोलो- अपना बलिदान दिया
फिर क्या किया?
पढ़ें युहन्ना 14: 27
मैं तुम्हें शान्ति दिए जाता हूं, अपनी शान्ति तुम्हें देता हूं; जैसे संसार देता है, मैं तुम्हें नहीं देता: तुम्हारा मन न घबराए और न डरे।
यीशु  ने अपनी शांति दी, और उसे हमारे पास छोड़ दी, और कहा कि अपने दिलो को तकलीफ में ना आने दो
इसका मतलब साफ़ ज़ाहिर है कि परमेश्वर हमारे जीवन के लिए सजग है| जब उसने हमे पवित्र आत्मा दिया उसने हमे उसके फल भी दिए| परमेश्वर का प्रेम बिना शर्त का है इसका मतलब है कि वह हमसे सदैव प्रेम रखता है|
आनंद परमेश्वर से ही है उसके बाहर नहीं|
शांति वहीँ मिलेगी जहाँ प्रेम व आनंद होगा|
परमेश्वर परिवार के मध्य में है और उसकी आत्मा के फल लोगों के बीच में ही विकसित होतें हैं |
क्या त्तुम परमेश्वर के फलों को अपने मध्य में पनपते हुए देखना पसंद करोगे या नहीं!
अगर हाँ तो अवश्य जानो इसके लिए तुम्हें मोल चुकाना पड़ेगा
क्या तुम मोल चुकाना नहीं चाहते हो, तो फिर तुम यीशु के कैसे कहलाओगे
पढ़ें युहन्ना 17: 16-18
जैसे मैं संसार का नहीं, वैसे ही वे भी संसार के नहीं। सत्य के द्वारा उन्हें पवित्र कर: तेरा वचन सत्य है।  जैसे तू ने जगत में मुझे भेजा, वैसे ही मैं ने भी उन्हें जगत में भेजा।
इसका मतलब तुम दुनिया में हो पर दुनिया के नहीं | तुम्हारे ज़रिये यीशु दूसरों के जीवन में काम करता है, इसका मतलब वह तुम्हारे बहुत करीब है, फिर तुम भी अवश्य ही धीरे-धीरे उसके जैसे होते जाओगे
क्या तुम उसके जैसे हो या शत्रु जैसे ?
अपने को परखो!
कैसे परखे
जांचों
1 . क्या परमेश्वर की शांति तुम्हारे साथ है?
पढ़ें रोमियो 5:1-2
सो जब हम विश्वास से धर्मी ठहरे, तो अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर के साथ मेल रखें। जिस के द्वारा विश्वास के कारण उस अनुग्रह तक, जिस में हम बने हैं, हमारी पहुंच भी हुई, और परमेश्वर की महिमा की आशा पर घमण्ड करें।
अगर परमेश्वर की शांति तुममे नहीं है तुम दुनिया से प्रभावित होगे और तुम्हारा विश्वास डगमगाएगा, फिर तुम परमेश्वर से कैसे पाओगे | यह बहुत ही खतरनाक है क्योंकि इससे शैतान की मर्जी होती है परमेश्वर की नहीं|
पढ़ें याकूब 1:6-8
पर विश्वास से मांगे, और कुछ सन्देह न करे; क्योंकि सन्देह करने वाला समुद्र की लहर के समान है जो हवा से बहती और उछलती है। ऐसा मनुष्य यह न समझे, कि मुझे प्रभु से कुछ मिलेगा। वह व्यक्ति दुचित्ता है, और अपनी सारी बातों में चंचल है॥
2 . क्या अपने जीवन में तुम्हे शांति है?
पढ़ें रोमियो 5:3-5
केवल यही नहीं, वरन हम क्लेशों में भी घमण्ड करें, यही जानकर कि क्लेश से धीरज। ओर धीरज से खरा निकलना, और खरे निकलने से आशा उत्पन्न होती है। और आशा से लज्ज़ा नहीं होती, क्योंकि पवित्र आत्मा जो हमें दिया गया है उसके द्वारा परमेश्वर का प्रेम हमारे मन में डाला गया है।
जीवन में जब कठिन वक्त आता है तो तुम्हारे कदम कहाँ चल पड़ते हैं ?
परमेश्वर हमारा पिता है वह हमे अवश्य ही काटेगा-छटेगा ताकि हमारा व्यक्तित्व निखर सके और हम उसके समान बन सकें
अपने वचनों में परमेश्वर ने हमे अपनी शांति का भरोसा दे रखा है ना कि भय का
3 . क्या शांति और अभिमान में तकरार है?
पढ़ें मत्ती 11:28-30
हे सब परिश्रम करने वालों और बोझ से दबे लोगों, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूंगा। मेरा जूआ अपने ऊपर उठा लो; और मुझ से सीखो; क्योंकि मैं नम्र और मन में दीन हूं: और तुम अपने मन में विश्राम पाओगे। क्योंकि मेरा जूआ सहज और मेरा बोझ हल्का है॥
यीशु जिस बोझे की बात कर रहें है वह बोझा हमारे दिन प्रतिदिन होने वाली प्रतिक्रियाओं से सम्बंधित है | जैसे कि परिवार सम्बंधित, जॉब सम्बंधित, स्वास्थ सम्बंधित| यही बोझे हमे दिन-प्रतिदिन ढोने पड़ते है| फिर क्या तुम दुनिया के दिखावे वाले अभिमान में पड़े हो?
कितनी बार तुम शेखी और दिखावे के चक्कर में अपने आप को मुश्किल में डाल चुके हो
परमेश्वर में होने के बाद भी अगर तुम दुनिया की चाल चलोगे तो क्या शैतान तुम्हें परमेश्वर के राज्य का भागी दार होने में रुकावट ना डालेगा
4 . क्या जिद्दी या हठी लोगों के बीच में भी शांति कायम रहती है?
पढ़ें रोमियो 14:12-19
सो हम में से हर एक परमेश्वर को अपना अपना लेखा देगा॥ सो आगे को हम एक दूसरे पर दोष न लगाएं पर तुम यही ठान लो कि कोई अपने भाई के सामने ठेस या ठोकर खाने का कारण न रखे। मैं जानता हूं, और प्रभु यीशु से मुझे निश्चय हुआ है, कि कोई वस्तु अपने आप से अशुद्ध नहीं, परन्तु जो उस को अशुद्ध समझता है, उसके लिये अशुद्ध है।  यदि तेरा भाई तेरे भोजन के कारण उदास होता है, तो फिर तू प्रेम की रीति से नहीं चलता: जिस के लिये मसीह मरा उस को तू अपने भोजन के द्वारा नाश न कर।  अब तुम्हारी भलाई की निन्दा न होने पाए।  क्योंकि परमेश्वर का राज्य खाना पीना नहीं; परन्तु धर्म और मिलाप और वह आनन्द है;  जो पवित्र आत्मा से होता है और जो कोई इस रीति से मसीह की सेवा करता है, वह परमेश्वर को भाता है और मनुष्यों में ग्रहण योग्य ठहरता है।  इसलिये हम उन बातों का प्रयत्न करें जिनसे मेल मिलाप और एक दूसरे का सुधार हो।
हमे परमेश्वर ने मेल-मिलाप के लिए बुलाया है ना कि छींटा-कशी के लिए | बल्कि परमेश्वर के प्रेम को बनाये रखे रहने के लिए जिसमे आनंद और शांति है |
पढ़ें मत्ती 18:19
फिर मैं तुम से कहता हूं, यदि तुम में से दो जन पृथ्वी पर किसी बात के लिये जिसे वे मांगें, एक मन के हों, तो वह मेरे पिता की ओर से स्वर्ग में है उन के लिये हो जाएगी।
परमेश्वर नहीं चाहता कि हममे से कोई भी नष्ट हो तभी वह एक साथ सहमत होने की बात कर रहा है | अगर हम सहमत नहीं शैतान अपना काम कर जाता है और परिवार नष्ट हो जाते है
अगर तुम्हारा प्रेम दुनिया से है तो खतरा है
कुछ पॉइंट्स याद रखने के लिए-
1 . यीशु ने बोला उसका मार्ग सकरा है, लेकिन दुनिया का रास्ता लुभावना है
2 . लगता है कि हम जीवन जी रहें है लेकिन वह मार्ग अन्धकार की ओर ले जाता है
3 . अनादर लाता है और शैतान हावी होने लगता है
4 . शांति को भंग करता है
एक सलाह -
पढ़ें नीतिवचन 4:23
सब से अधिक अपने मन की रक्षा कर; क्योंकि जीवन का मूल स्रोत वही है।
अपने दिल को संभाल कर रखो, क्योंकि युद्ध की भूमि यह दुनिया और उसके चाल-चलन हैं
पढ़ें रोमियों 12:2
और इस संसार के सदृश न बनो; परन्तु तुम्हारी बुद्धि के नये हो जाने से तुम्हारा चाल-चलन भी बदलता जाए, जिस से तुम परमेश्वर की भली, और भावती, और सिद्ध इच्छा अनुभव से मालूम करते रहो॥
मेरा अंतिम प्रश्न -
किसने तुम्हारा दिल पकड़ा हुआ है दुनिया ने या यीशु ने?
अगर यीशु ने, तो तुम हार के लिए नहीं बनाये गए हो
पढ़ें नीतिवचन 24:16
क्योंकि धर्मी चाहे सात बार गिरे तो भी उठ खड़ा होता है; परन्तु दुष्ट लोग विपत्ति में गिर कर पड़े ही रहते हैं।
बोलो- मैं परमेश्वर का धर्मी हूँ, इसलिए उसकी शान्ति मेरे साथ है
मेरी प्रार्थना -
पिता प्रभु यीशु के नाम पर मैं तुम्हें धन्यवाद देती हूँ और मांगती हूँ कि तुम हमारे जीवनों में सफलता भर दो | मेरी प्रार्थना है कि लोग तुम पर भरोसा करें और तुम अपनी शान्ति उन्हें दे दो| उनके जीवन के अतिउत्तम दिन आने पायें और तुम उन्हें अपूर्व आशीषों से भर दो | परमेश्वर का मार्ग शांति देता है यह बात पवित्र आत्मा उनके जीवन में  प्रकट कर दो |

अमीन

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