Thursday, October 25, 2012

उद्धार : अकेला समाधान

पढ़ें उत्पत्ति 4, लैव्व्यवस्था 1 और 6, गलातियों 3 और रोमियों 3

अगर तुमने यीशु के लिए अपना निर्णय ले लिया है पर फिर भी उद्धार के विषय में पूरी तरह स्पष्ट नहीं हो तो तुम अवश्य ही कृपा के इस मतलब को पवित्र शाश्त्र में खोजो!

1. पुराना नियम का अनुगृह  
पढ़ें उत्पत्ति 4:2-5,  फिर वह उसके भाई हाबिल को भी जन्मी, और हाबिल तो भेड़-बकरियों का चरवाहा बन गया, परन्तु कैन भूमि की खेती करने वाला किसान बना। कुछ दिनों के पश्चात कैन यहोवा के पास भूमि की उपज में से कुछ भेंट ले आया। और हाबिल भी अपनी भेड़-बकरियों के कई एक पहिलौठे बच्चे भेंट चढ़ाने ले आया और उनकी चर्बी भेंट चढ़ाई; तब यहोवा ने हाबिल और उसकी भेंट को तो ग्रहण किया, परन्तु कैन और उसकी भेंट को उसने ग्रहण न किया। तब कैन अति क्रोधित हुआ, और उसके मुंह पर उदासी छा गई। 
हाबिल की भेंट कैन से ज्यादा गृहण योग्य क्यों ?
क्या यह व्यवसाय के कारन भेदभाव है ?
पढ़ें उत्पत्ति 4:6-7, तब यहोवा ने कैन से कहा, तू क्यों क्रोधित हुआ? और तेरे मुंह पर उदासी क्यों छा गई है? 
यदि तू भला करे, तो क्या तेरी भेंट ग्रहण न की जाएगी? और यदि तू भला न करे, तो पाप द्वार पर छिपा रहता है, और उसकी लालसा तेरी और होगी, और तू उस पर प्रभुता करेगा।
इन दोनों बेटों ने एक सा क्या किया  है ?
इन दोनों ने मेहनत की और अपनी मेहनत का पहला फल परमेश्वर के सम्मुख लाये।
तब परमेश्वर ऐसा क्यों बोले की कैन अवश्य जो सही है करें ?
कैन और हाबिल ने देखा जाये तो जो ज़रूरी था वही किया 
इस भेँट का उद्देश्य क्या है ?
पढ़ें लैव्व्यवस्था 1:1-2, यहोवा ने मिलापवाले तम्बू में से मूसा को बुलाकर उससे कहा, इस्त्राएलियों से कह, कि तुम में से यदि कोई मनुष्य यहोवा के लिये पशु का चढ़ावा चढ़ाए, तो उसका बलिपशु गाय-बैलों वा भेड़-बकरियों में से एक का हो। 
यहाँ किस बात पर विचार-विमर्श किया जा रहा है ? पशु बलि - वाही विषय जो कैन और हाबिल की कहानी का है 
पढ़ें लैव्व्यवस्था 1:3-4, यदि वह गाय बैलों में से होमबलि करे, तो निर्दोष नर मिलापवाले तम्बू के द्वार पर चढ़ाए, कि यहोवा उसे ग्रहण करे। और वह अपना हाथ होमबलिपशु के सिर पर रखे, और वह उनके लिये प्रायश्चित्त करने को ग्रहण किया जाएगा। 
पुराने नियम के अंतर्गत एक व्यक्ति की माफ़ी के लिए क्या अनिवार्य था ?
एक व्यक्ति के पापों की क्षमा के लिए सिर्फ पशु बलि देना अनिवार्य था । और 
पढ़े  लैव्व्यवस्था 6:1-5, फिर यहोवा ने मूसा से कहा, यदि कोई यहोवा का विश्वासघात करके पापी ठहरे, जैसा कि धरोहर, वा लेनदेन, वा लूट के विषय में अपने भाई से छल करे, वा उस पर अन्धेर करे, वा पड़ी हुई वस्तु को पाकर उसके विषय झूठ बोले और झूठी शपथ भी खाए; ऐसी कोई भी बात क्यों न हो जिसे करके मनुष्य पापी ठहरते हैं, तो जब वह ऐसा काम करके दोषी हो जाए, तब जो भी वस्तु उसने लूट, वा अन्धेर करके, वा धरोहर, वा पड़ी पाई हो; चाहे कोई वस्तु क्यों न हो जिसके विषय में उसने झूठी शपथ खाई हो; तो वह उसको पूरा पूरा लौटा दे, और पांचवां भाग भी बढ़ाकर भर दे, जिस दिन यह मालूम हो कि वह दोषी है, उसी दिन वह उस वस्तु को उसके स्वामी को लौटा दे। 
परमेश्वर पापों के लिए माफ़ी देता है और चोरी की वापसी 20% दंड के साथ है 
लैव्व्यवस्था पढने से हमें कैन की भेंट परमेश्वर की दृष्टि में क्यों नही गृहण योग्य थी पता चलता है 
पापों का दंड मृत्यु है और पशु बलि से उसकी माफ़ी होती थी । एक सेब के चढाने से कुछ नहीं होता है वह तो जूस देगा लहू नहीं 
पुराना नियम के अंतर्गत क्या कठिन परिश्रम से कोई भी परमेश्वर के साथ सही रिश्ता कायम कर सका ?
कैन से ही पूछ लो (उसने भी तो कठिन परिश्रम किया था )
आज के समय में कैन की समस्या -पाप का मतलब क्या है 
पढ़ें यशायाह 64:6,  हम तो सब के सब अशुद्ध मनुष्य के से हैं, और हमारे धर्म के काम सब के सब मैले चिथड़ों के समान हैं। हम सब के सब पत्ते की नाईं मुर्झा जाते हैं, और हमारे अधर्म के कामों ने हमें वायु की नाईं उड़ा दिया है।
तो फिर कौन बच सकता है ?
फिर बहुत है जो कैन के जैसा सोचते है कि अच्छे कामो से बच जायेंगे ।
पर सच तो ये है कि हममे से कोई भी धर्मी नहीं है जब कैन ने देखा कि हाबिल की भेंट परमेश्वर ने स्वीकार कर ली और उसकी नहीं तो वह क्रोधित हो  गया ।
कितने है जो परमेश्वर का अनुगृह दूसरों के जीवन में देख कर इर्ष्या करने  लगते है?
चलो चर्चा करते है उन विश्वासी भाईयों की जो उद्धार के विषय में संदेह करते है 
ऐसे व्यक्ति अपने कार्यों के कारन सोचते है कि उन्हें उद्धार मिलेगा कि नहीं । तो कहने का मतलब है कि क्या उद्धार अच्छे कामों के ज़रिये प्राप्त होता है ? ऐसा सोचते हैं 
तो फिर उद्धार की गारंटी कैसे है ?
अनुगृह से विशवास के द्वारा 
अनुगृह कैसे प्राप्त करें ?
परमेश्वर पर विशवास करने से 
अगर हम अपने उद्धार पर संदेह कर रहे है तो हम परमेश्वर पर विशवास नहीं कर रहें हैं 
अगर हम विशवास करते है तो हम स्वतंत्र हैं लेकिन वचन कहता है कि मसीह ने स्वतंत्रता के लिये हमें स्वतंत्र किया है; सो इसी में स्थिर रहो, और दासत्व के जूए में फिर से न जुतो॥ अतः अपनी  स्वतंत्रता को अधर्म के लिए मत प्रयोग करो 
पापों के कारन दुःख और तकलीफों की बाढ़ हमारे जीवनों में आ गयी । वहीँ येशु ने प्रेम का प्रदर्शन कर हमें हमारे पापों से छुडा लिया।
क्या फिर भी हम संदेह करें और परमेश्वर की अनमोल गिफ्ट उद्धार को न पायें?
प्रिय मित्रो, परमेश्वर की अनमोल गिफ्ट उद्धार को आनंद और पुरे साहस के साथ स्वीकार करो। अगर तुम अपने पों को स्वीकार करो और मन में विशवास करो कि उसने तुम्हारे लिये अपना पशु तुल्य बलिदान कर दिया है तो तुम बच गए ।अपने उद्धार पर शक न करो तुम यीशु द्वारा नरक से बचा लिए गए हो।
अगले हफ्ते : मसीह में विकास 


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